रविवार, 18 अक्तूबर 2009

भारतीय ज्योतिष

भारतीय ज्योतिष एक प्रमुख वेदांग है। प्राचीन काल में यहाँ के ऋषि-मुनि इसी विज्ञान के आधार पर भविष्य दर्शन कर अपने जीवन को दैदीप्यमान बना लेते थे। जन्म कुण्डली के अध्ययन के लिए आज भी ‘भृगु संहिता’ एक प्रामाणिक ग्रन्थ माना जाता है जिससे भूत, भविष्य और वर्तमान के साथ-साथ पूर्वजन्मों की भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ज्योतिष जटिल विषय तो है ही इसका ज्ञान श्रमसाध्य भी है। इसी कारण हमने जटिलताओं को छोड़ते हुए सरलतम ढंग से इस विषय को समझाने का प्रयत्न किया है जिससे साधारण पढ़ा-लिखा पाठक भी इसकी इतनी जानकारी अर्जित कर सके कि वह अपने भविष्य में तो झाँक ही सके अपने परिवार एवं आस-पड़ोस का भी भविष्य जान सके और अपने विपरीत समय को अनुकूल बना सके। दरअसल सभी विपत्तियाँ हमारे ही कर्म-दोष के कारण आती हैं। ज्योतिष की सामान्य जानाकारी हो जाने पर हम शूली जैसे बड़े कर्म-दोष को काँटा चुभने जैसा हल्का और प्रभावहीन बना सकते हैं और एक सफल, आदर्श एवं प्रभावी जीवन जी सकते हैं। ज्योतिष एक विज्ञान है। भारत में और विदेशों में भी इस विषय पर निरन्तर शोधकार्य चल रहा है। अब तो ज्योतिष की पत्रिकायें भी अंग्रेजी तथा हिन्दी भाषा में निकलने लगी हैं। कदाचित ही कोई समाचार-पत्र ऐसा हो जिसमें दैनिक ग्रह-गति एवं राशिफल न छपता हो। यह प्रवृत्ति इस विषय की लोकप्रियता ही दर्शाती है। छोटे से बड़े प्रत्येक वर्ग के पाठकों में ज्योतिष ज्ञान की बड़ी ललक है किन्तु मार्गदर्शन के अभाव में वह इस ज्ञान से वंचित रह जाता है। इस पुस्तक में इस अभाव की पूर्ति का यथाशक्ति प्रयास किया गया है। आशा है इससे पाठकों की जिज्ञासा शान्त होगी और वे अपने कार्य-व्यापार, शिक्षा-प्रतियोगिता एवं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसके आलोक से उन्नति के मार्ग की ओर अग्रसर हो सकेंगे। इस दायित्व को लेकर लोक-मंगल के इस सारस्वत-यज्ञ में अपनी आहुतियाँ समर्पित की हैं। पाण्डुलिपि तैयार करने में निशीथ वत्स ने बड़ी सहायता की है।

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